जवानी
प्राण अंतर में लिए , पागल जवानी ! कौन कहता है कि तू विधवा हुई , खो आज पानी । चल रही है घड़ियाँ , चले नभ के सितारे , चल रही नदियाँ , चले हिमखंड प्यारे , चल रही है साँस , फिर तू ठहर जाये ? दो सदी पीछे कि तेरी लहर जाये । पहन ले नर - मुंड - माल , उठ स्वमुंड सुमेरु कर ले ; भूमि - सा तू पहन बाना आज धानी प्राण तेरे साथ है , उठ री जवानी ! द्...