जिस दिन ...!
भाव भी मेरा अभाव भी मेरा जिस दिन इन सबको त्याग दूँगी हर बंधन से मुक्त स्वयं से उन्मुक्त हो असीम अंतहीन परम चैतन्य से मिल अगाध आनंद - कुँज को पाऊँगी अपनी सितार में मिला उसे मधुर राग जगजीवन विश्राम का