ममतामयी माँ
कानों में एक अनकहा संगीत घुल रहा है
हाईवे का ये लम्बा हो गया सफर
अब जल्दी कटेगा
बैठे बैठे पूरे बदन में जो दर्द जाग उठा है
उसके लिए ये हसीं वादियाँ
हमदर्द बनेंगी आखिर रोज प्रदूषण
का महाभयंकर दर्द बिना कोई
उफ किये चुपचाप सहती है
पर कब तक ? हम कब चेतेंगे ?
और इस ममतामयी माँ का क्षोभ हरेंगे
जो हम सबको देती है इतना प्यार
जो देती है जीवन को आधार
आओ आज हम मिलकर ले ये संकल्प
पृथ्वी पर अब और नहीं बढ़ने देंगे
प्रदूषण , इसकी मैली होगी चुनर को
अपने प्रयासों से फिर एक बार
हराभरा बनायेंगे जिसकी आँचल की
छाँह तले हम सब जीते है ।
बहुत सुन्दर कामना
जवाब देंहटाएंसुंदर कामना।
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