हल्दीघाटी - श्यामनारायण पाण्डेय कृत
मेवाड़ - केसरी देख रहा , केवल रण का न तमाशा था । वह दौड़ - दौड़ करता था रण , वह मान - रक्त का प्यासा था। चढ़कर चेतक पर घूम - घूम , करता सेना रखवाली था ।
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