कर्मवीर
देख कर बाधा विविध , बहु विघ्न घबराते नहीं ।
रहे भरोसे भाग्य के दुख भोग पछताते नहीं ।
काम कितना ही कठिन क्यों न हो उकताते नहीं ।
भीड़ में चंचल बने जो , वीर दिखलाते नहीं ।
हो गये एक आन में उनके बुरे दिन भी भले ।
सब जगह सब काल में वे हीं मिले फूले - फले ।
संदर्भ - प्रस्तुत पंक्तियाँ द्विवेदीयुगीन कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय ' हरिऔध ' जी के द्वारा रचित ' कर्मवीर ' कविता से अवतरित है ।
व्याख्या - कवि हरिऔध जी कहते है कि कर्मवीर व्यक्ति जीवन में आने वाली बाधा - विघ्नों को देखकर उनसे घबराकर अपने कर्त्तव्य पथ से विचलित नहीं होते है और स्वयं को भाग्य भरोसे नहीं छोड़ते है । उनका लक्ष्य कितना ही कठिन क्यों न हो , पर अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु अथक प्रयास से कभी नहीं हिचकते है और ऐसे ही कर्मवीर व्यक्ति अपनी लगन के बल पर अपनी मंजिल , अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते है और उनके जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियाँ भी हार मानकर उनके अनुकूल हो जाती है । संसार में ऐसे ही कर्मवीर व्यक्ति प्रेरणा के स्त्रोत बनते है । उनकी कीर्ति संपूर्ण संसार में गुंजायमान रहती है । वहीं विकासपथ को , उन्नतिपथ को प्राप्त करते है , जो कर्मशक्ति से परिपूर्ण होते है ।
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आज करना है जिसे करते उसे है आज हीं ।
सोचते कहते है जो कुछ कर दिखाते है वहीं ।
मानते जी की है सुनते है सबकी की कहीं ।
जो मदद करते है अपनी इसजगत में आप हीं।
भूल कर वें दूसरों का मुँह कभी ताकते नहीं ।
कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं ।
जो कभी अपने समय को यों बिताते है नहीं ।
काम करने की जगह बातें बनाते है नहीं ।
आजकल करते हुए जो दिन गँवाते है नहीं ।
यत्न करने में कभी जो जी चुराते है नहीं ।
बात है वह कौन जो होती नहीं उनके लिए ।
वे नमूना आप बन जाते है औरों के लिए ।
संदर्भ - प्रस्तुत पंक्तियाँ द्विवेदीयुगीन कवि श्री अयोध्यासिंह उपाध्याय ' हरिऔध ' जी द्वारा रचित कर्मशक्ति की महत्ता को जगाने वाली प्रेरक भावबोध से समान्वित ' कर्मवीर ' नामक कविता से अवतरित है ।
व्याख्या - कवि हरिऔध जी अपनी निम्नांकित पंक्तियों में कहते है कि कर्मवीर व्यक्ति अपने अनमोल समय को यों हीं व्यर्थ में गँवाते नहीं है , अपितु हर एक क्षण को महत्वपूर्ण मानते हुए अपने समय का सदैव सदुपयोग करते है । जिस कार्य को आज पूरा किया जा सकता है , उसमें आनाकानी न करते हुए उसे आज के आज ही पूरा करते है । वे अपने कीमती समय को व्यर्थ की बातों में नहीं खोते है , वरन् सतत उघमशीलता और सदुपयोगिता का परिचय देते है । अपने कर्त्तव्य पथ पर वे सदैव गतिमान बने रहते है । लोगों की राय उनके सम्बन्ध में क्या है , ऐसी उधेड़बुन में न पड़कर वे सदैव प्रसन्नचित और अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रचित्त रहते है । अपने कर्त्तव्य और अपने लक्ष्य के प्रति सच्ची निष्ठा होने के कारण मार्ग में आनेवाली बाधाओं से लड़ने के लिए वे हरदम तैयार रहते है । ऐसे कर्मठ व्यक्ति हीं जीवन में सफलता के शिखर को प्राप्त करते है और इस जग में दूसरों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन जाते है ।
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