दिवाली की रौनक तभी सफल बने
सर्द दिनों की रुहानी आहट
लिए मौसम का रुख बदला है
सिमटा - सिमटा दिन
गुलाबी ठंडक लिए
सूरज आसमाँ के पट पर
खिलने लगे गुलाब
मंजरी पर पुलकित पुष्प
बिखरने लगी सुंगधि सुवासकरती शीतल शरद का स्वागत
कार्तिक की रात दीप जगमग
विश्वास उर में भरे
आनंद के उछाह रंगोली के रंग खिले
कहा - सुनी मनभेद सब को छोड़े
शीतलता की सरलता में घुल
मुख की मुस्कान जो किसी की बने
दिवाली की रौनक तभी सफल बने
आप सभी को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏
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