ममता - जयशंकर प्रसाद की कहानी
रोहतास दुर्ग के प्रकोष्ठ में बैठी हुई ममता , शोण के तीक्ष्ण गम्भीर प्रवाह को देख रही है । ममता विधवा थी । उसका यौवन शोण के समान ही उमड़ रहा था । मन में वेदना , मस्तक में आँधी , आँखों में पानी की बरसात लिये , वह सुख के कंटक - शयन में विकल थी ।