मीठी बारिश
अम्बर तले छाँव नील गगन में
बादल गुजरे , मेरी छोटी गुड़िया
प्यारी करे देख उन्हें इशारा
बताओ तो मम्मी जरा इनमें
कौन छिपा ? किस की है
रुई सी मुलायम सवारी
कौन सवार होकर इन
धीमी - धीमी गाड़ियों से जाता है ?
वह किधर , कहाँ जाता ?
क्या वो हमको झाँकता है ?
हमसे मिलने को वो क्यों नहीं
नीचे आता ?
बताओ मम्मी मेरी प्यारी !
आखिर इन बुलबुले बादलों में
कौन बसा ?
टुकड़ों से फैले हुए आसमाँ में
जैसे मेरी नीली पोलका डाॅट फ्राॅक
प्यारी ! है ना , मम्मी लगती है ना
बिल्कुल वैसी !
उसकी ये प्यारी बातें सुन
मन हर्षाया मन ही मन उसे
एकटक निहारा कितनी प्यारी है ना मेरी
गुड़िया रानी , उसकी ये सारी प्यारी
बातें भूला देती है मेरी सारी परेशानी
भोली बच्ची को अपने पास बैठाया
फिर आसमाँ की ओर कर इशारा
उसे बताया इन छोटे - छोटे बादलों में
छिपा है प्यार का मीठा समंदर प्यार
पर क्या तुम जानती हो , मेरी बच्ची
इसका पानी इतना मीठा कैसे बनता है ?
जबकि समंदर खारा होता है ?
क्यों ? क्योंकि इनमें त्याग की भावना है
अपना सुख छोड़ अपना घर - द्वार छोड़
दूसरों के लिए जीने की वजह बनने का ,
धैर्य करुणा और अपार प्रेम रखते है ।
परोपकार की भावना इन्हें इतना मीठा
बनाती है । पर , मेरी बच्ची आज हम
इस मीठे पानी से दूर होते जा रहे है ।
इन बादलों से दूर होते जा रहे है ।
कल - करखानों से निकला काला
जहरीला धुआँ मोटरवाहनों
से निकलने वाली हानिकारक गैसें
रेडियोएक्टिव तत्वों आदि के कुप्रभाव से
इसका मीठा पानी अम्लीय होता जा रहा है
जिससे घरौंदे बाग - बगीचे खेत - खलिहान
की हमारी उपजाऊ मिट्टी बंजर हो रही है ।
पेड़ - पौधों को नुकसान पहुंचता है ।
पेयजल का गंभीर संकट गहरा रहा है ।
दूषित जल के कारण विभिन्न प्रकार
के रोग उत्पन्न होते है ।
पशु मानव प्रकृति सब त्रस्त है ।
और इन सबका कारण हम
मनुष्य ही है । हम दो कदम पैदल
चलकर नहीं जा सकते ,
कचरे का उचित रीति से निपटान
करने की जगह उसे खुले में किहीं भी
जला दिया जाता है ।
पेड़ों की कटाई के कारण
CO2 की मात्रा बढ़ती है ।
अशुध्दियों से भरे वायुमंडल में जब
वर्षा की बूँद होकर गुजरती है ।
इस धरा पर आते - आते उसका मीठा
पानी अनेक प्रकार की अशुध्दियों से
घिर चुका होता है ।
उस दूर बादल पर का सवार
हमसे मिलने तो आता है पर हम उसका
खुले दिल से स्वागत नहीं कर पाते है ।
उसको सहेजने और बचाने की जगह
उसको बर्बाद करते है ।
मेरी बच्ची थोड़ी देर कुछ सोची और
फिर बोली , मम्मा हम बारिश को अपना
दोस्त बनायेंगे । अबकी बार जब वो हमसे
मिलने आयेगा । हम अपने सभी दोस्तों के
साथ मिलकर उसका स्वागत करेंगे । आप
भी हमारे साथ मिलकर बारिश का स्वागत
करेंगी ना । उसका मीठा पानी हम मिलकर
और भी मीठा बनायेंगे । आप करेंगी ना
हमारे साथ उसका स्वागत .. उसकी ये
प्यारी बातें सुन मन बरबस खुशी से झूमा
मैंने उसको प्यार से चूमा ... हाँ , मेरी बच्ची
बिल्कुल हम सब मिलकर करेंगे उस
मीठी बारिश का स्वागत ..!
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