हर एक स्त्री सीता सी

धैर्य   धरा   धरणी   धरा

धैर्य    धरा    धरणी   सुता

धैर्य   ध्यान   ईश्वर   का

नमन    आत्मरुप    का

होती    यात्रा    प्रारंभ    जहाँ   से

विराटस्वरुप     की    ,

विनयपथ    अचल    अटल

श्रध्दा   विश्वास    तन्मय    लगन   भक्ति   की

चिर    समर्पण   ,  भूल   गए   पथ  फूलों  का

भूल   गए   पथ   शूलों    का 

दृढ़   अटल   संकल्प   जीवन   सु -  मूल्यों   का

सतत   अविरत    बढ़ता    जीवन

निष्ठा    मन    ज्योत    संग    

राम    नाम    प्रकाश  प्रदीप्त  पग - पग 

निस्वार्थ     सत्     भावधरा    धरणी 

स्वाभिमान    तेजोज्ज्वला    मंगला

वैदेही    विनयशीला     नित   स्तुति

मंगल   सुफल   सुदुर्लभ    जीवन   की

सार्थक     मानवधरम    धन्य  !

विचलित   न   तुच्छ    भय   कुचक्रों   

मृगमरीचिका  सम   झूठे   अहं    प्रलोभों    से

नारी   शक्ति    जानकी    जगजननी

धरणी    सीता    वंदन  !   शतशत   वंदन  !

आत्मजागरुक   स्वावलंबी   वह   साथी 

वह   प्रेरणा    वह   चेतना   वह    वीरांगणा  

हर    एक    स्त्री  ...  सीता  सी



 

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