शब्द और भाव
शब्द और भाव का साथ
जैसे सूर्य से तेजस्वी मुख पे
दमकती चंद्रबिंदी की शुभा
शब्द और भाव का सहवास
जैसे पूस की रात में जलती आग
शब्द और भाव की सौगात
जैसे आत्मा और परमात्मा का चिर साथ
शब्द और भाव का प्रकाश
जैसे मंदिर में जलता दीपप्रकाश
जैसे अमावस की रात में दीवाली
शब्द और भाव का संबंध
जैसे खीर में घुली शक्कर की मिठास
गूँगें का गुड जैसे एक मीठा फल
शब्द और भाव का सहकार
जैसे पथिक को उसकी मंजिल का साथ
जैसे बजता कोई संगीत और गूँजती राहों में
सहयात्री की कदमों ताल
शब्द और भाव का सान्निध्य जैसे
टूटती उम्मीदों को मजबूत होती आशाओं का विश्वास
जैसे गिरकर सँभलते फिर उठ खड़े होकर चल देने का
बालमन प्रयास शब्द और भाव जैसे अनकहा संबल
शब्द और भाव जैसे खुले आकाश में स्वतंत्र उड़ते परिंदे
शब्द और भाव जैसे एक गहरी उच्छ्वास
शब्द और भाव जैसे नीड़ अपना प्यार
शब्द और भाव जैसे निर्मल नदिया का जल
शब्द और भाव जैसे बीते लम्हों की याद
शब्द और भाव जैसे फूलों की सुगंधि - सुवास
शब्द और भाव जैसे हृदय के अनसुने राग
शब्द और भाव जैसे पग-पग बदलती अवस्थाओं के साथी
शब्द और भाव जैसे संपूर्ण सृष्टि का फैला आँचल
शब्द और भाव जैसे उनमें जड़े मोती मानिंद
शब्द और भाव जैसे ब्रह्मवादिनी का जग पर आशीर्वाद ।
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तुमने शब्द और भाव के रिश्ते को जिस तरह हर उदाहरण में उकेरा है, वो अद्भुत है। जैसे सूर्य और चंद्रबिंदी, जैसे दीपप्रकाश और अमावस, हर तुलना सीधे दिल में उतरती है। मुझे सबसे ज़्यादा ये हिस्सा पसंद आया कि शब्द और भाव खुले आकाश में उड़ते परिंदों जैसे हैं, सच में, यही तो रचना की आत्मा है।
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