अंतर चुप रहने का
एक - कई बार बस तुम इसलिए हारे
कि तुम चुप बने रहे
सही - गलत अच्छे - बुरे के प्रति कुछ इंगित नहीं किया
निरीह विरक्त पाषाण संवेदना - सहवेदना से अलग - थलग
खुद को कैद में बंद कर धृतराष्ट्र - गाँधारी हो गए तुम !
तुम्हारा पश्चाताप ही तुम्हारी विकट सजा हुई ।
दो - कई बार बस तुम्हारे चुप ने ही तुम्हें जीता दिया
बिगड़ती बात को सँभाल लिया
आपसी गुत्थियों कशमकश को सुलझा लिया
समय रहते ज्यों जमीन पर गिरते अनमोल
रिश्ते से फूलदान को थाम लिया उसे
टूटकर बिखरने से तुम्हारे चुप ने बचा लिया ।
बस यही अंतर है विभिन्न परिस्थितियों में चुप रहने का ,
निर्णय हमारा ही होगा कि हमें कहाँ चुप रहना है और
कहाँ अपनी आवाज बुलंद करनी है ।
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