संदेश

ज्ञान की देवी तू हम सबको प्यार दे

जीवन  को   आधार  दे ,  जीवन  को  सँवार  दे । निस्सार  को  सार  दे ,  निराकार  को  तू  साकार  करे । समता  का  तू  संवाद  दे , भेदभाव  के  बंधन  को  तू  तार  दे।

सरस्वती की वीणा

अंधकार   का  नाश   करे  ,  वो  उज्ज्वलता  का  संचार  करे  । तम  में  डूबे  पथ  का ,  वो  संधान  करे ।

महादेवी वर्मा : यह मंदिर का दीप ( गीत )

  यह  मंदिर  का  दीप  इसे  नीरव  जलने  दो  रजत  खंड -  घड़ियाल  स्वर्ण  वंशी - वीणा - स्वर , गये  आरती  बेला  को  शत - शत  लय  से  भर ,  जब  था  कल - कंठों  का  मेला , विहँसे  उपल  तिमिर  था  खेला , अब  मंदिर  में  इष्ट  अकेला ,  इसे  अजिर  का  शून्य  गलाने  को  गलने  दो ।

सरस्वती वन्दन : वन्दिता भगवती शारदे

  वन्दिता भगवती शारदे    माँ ! बुध्द दे , स्वर शुध्द दे ! वाणी मधुर हो , आखर बने अरथमय ज्ञान और भक्ति की ज्योत जगे  वन्दिता भगवती शारदे   माँ ! बुध्द दे , स्वर शुध्द दे !

गिल्लू - रेखाचित्र महादेवी वर्मा कृत

सोनजुही  में  आज  एक  पीली  कली  लगी  है । उसे  देखकर  अनायास  ही  उस  छोटे  जीव  का  स्मरण  हो  आया , जो  इस  लता  की  सघन  हरीतिमा  में  बैठता  था  और  फिर  मेरे  निकट  पहुँचते  ही  कन्धे  पर   कूदकर  मुझे  चौंका  देता था । तब  कली  की  खोज  रहती  थी , पर  आज  उस  लघुप्राणी  की  खोज  है । परंतु  वह  तो  इस  सोनजुही  की  जड़  में  मिट्टी  होकर  मिल  गया  होगा  कौन  जाने  स्वर्णिम  कली  के  बहाने  वहीं  मुझे  चौंकाने  ऊपर  आ  गया  हो ।

तैयारी

  आप  अपने  कार्यक्षेत्र  में  सफलता  प्राप्त  करना  चाहते  है  तो  इसके  लिए  तैयारी  करे । आप  अपने  लक्ष्य  को  प्राप्त  करने  के  लिए  जो  कुछ  भी  करते  है , वह  पूरी  निष्ठा  के  साथ  करे । तैयारी  अगर  अच्छी  होगी  तो  जीत  का  फल  भी  निश्चित  ही  मीठा  होगा । 

आचार्य रामचंद्र शुक्ल का निबंध - भाव या मनोविकार

  अनुभूति  के  द्वंद्व  से  ही  प्राणी  के  जीवन  का  आरंभ होता  है । उच्च  प्राणी  मनुष्य  भी  केवल  एक  जोड़ी  अनुभूति  ही  लेकर  इस  संसार  में  आता  है ।  बच्चे  के  छोटे  से  हृदय  में  पहले  सुख  और  दुख  की  समान  अनुभूति  भरने  के  लिए  ही  जगह  होती  है । पेट  का  भरा  या  खाली  रहना  ही  ऐसी  अनुभूति  के  लिए  पर्याप्त  रहता  है । जीवन  के  आरंभ  में  इन्हीं  दोनों  के  चिन्ह  हँसना  और  रोना  देखे  जाते  है  पर  ये  अनुभूतियाँ  बिल्कुल  समान  रुप  में  रहती  है , विशेष  - विशेष  विषयों  की  ओर  विशेष  - विशेष  रुपों  में  ज्ञानपूर्वक ...