सरस्वती की वीणा
अंधकार का नाश करे , वो उज्ज्वलता का संचार करे ।
तम में डूबे पथ का , वो संधान करे ।
गहन विवर में , वो नौका की पतवार बने ।
विचलित मन संशय से , वो समाधान करे ।
दमन का नाश करे , वो निर्बल को बल दे ।
रुढ़िबंध अंध निर्बन्ध करे , वो मूक को स्वर दे ।
हर पथ पर साथ बने , वो पथप्रकाश बने ।
शून्यता में प्रतिध्वनित हो , वो अंर्ततम प्रकाश बने ।
दीन - हीन की शक्ति बन , वो दीप्तिमाल बने ।
ज्ञान मनका फेर कर , वो चहुँओर प्रकाश करे ।
सरस्वती की वीणा वाणी शक्ति का संचार करे ।
सरस्वती की वीणा वाणी शक्ति का संचार करे ।
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