वाणी वन्दना
माँ शारदे ! मैं तेरी सेविका ।
मैं अति अबुध अज्ञान हूँ ।
तेरी चरण धूलि समान हूँ ।
तू ज्ञान की है पेटिका ।
माँ शारदे ! मैं तेरी सेविका ।
श्वेतांबरी माँ ! बुध्द दे ।
वागीश्वरी ! स्वर शुध्द दे ।
साहित्य की मैं उपासिका ।
माँ शारदे ! मैं तेरी सेविका ।
हंसासिनी ! गुण गा सकूँ ।
आशीष तेरा पा सकूँ ।
नत चरण , में तेरी सुता ।
माँ शारदे ! मैं तेरी सेविका ।
वाणी मधुर , शब्द अर्थमय ;
तव भक्ति , पावन ज्ञानमय ;
जीवन में चाहे याचिका ।
माँ शारदे ! मैं तेरी सेविका ।
( साभार - सुषमा जी )
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