बोले ना मन काँहे बैरी

बोले   ना    मन    काँहे    बैरी   

काँहे   न   थामी   मोरी   डोरी

उतरी   तोहे   अँगना    काँहे 

थामी    नाहीं     डोरी    

काँहे    थामे   ना   ,  बोले   ना

मन    काँहे    बैरी  ,   काँहे   को 

बैरी   रे   काँहे   को   बैरी  ...  बोले  ना  मन  ..

ऊँची   उड़ी    नीले    नीले   अम्बर   में

स्वच्छ    श्वेत   रंग   पतंग   जिस   पे 

चढ़   जाये    सतरंगी    हर   वर्ण

तिनका  -  तिनका   जोड़   बनी

माटी    की     सौंध    संग    ले   चली

आँसमा    को     धरती    की    जरुरत

थोड़ी    डपट    लगा   थाम   मोरी   डोरी

लौट    चल    डगर    जो    गर   बीती

अबोल    निठुराई    झूठी

बोले      ना    मन    काँहे     को    बैरी ...

ना    बैरी   बोले   ना   मन   ना   बैरी  !



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