लिख देता ये कथा कौन

नन्हा    पौधा    खेल    रहा    है

दो    कलियों    में    झुरमुट  -  सा

देखा   हो   चाहे   ना   देखा   हो   किसी   न

मस्त   बहारों    में    हो   के   मगन   

खड़ा  -   खड़ा     आकाश    को   ताकता

कोई    स्वप्न     बसा    रहा    उर   में   या

कोई     मीठा    सा    संवाद    चल    रहा

हो    मौन      अधर     पल्लवों    से

हवा    कोई    संदेसा    लाती

दूर    किसी   अनजान    परदेस   से

बाँचता      चिट्टियाँ     उसकी   

बन     अबोध    मन    की    तह    की

लिख    देता     ये     कथा    कौन   

जिसे   मैं    पढ़   रही    

होकर   भाव  - विभोर ...!

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