शुभ होली
रंग जिंदगी का रंग खुशी का
रंग हँसी का रंग कमोबेश
घटती - बढ़ती मुश्किलों की
अटखेली राहों का
रंग किताबों अखबारों के
संग गर्म चाय की चुस्की का
या खुली में बहती
मन्द - मन्द ताजी हवा
कागज कलम
दवात लिखती जो
अनगढ़ बात पट्टचित्र भले
रहे सादा मन में रहे
अनगिनत विचार
हरेक रंग खिला - खिला
शोखियों से भरा
रंग मिलने - मिलाने का
कुछ कहने कुछ सुनने और
सुनाने का , सजता थाल
रंग इंद्रधनुषी बातों का
उछालके रंग गुलाल
मिलकर देती धरती अम्बर
को पुकार , तुम वहीं , पिता
समान संरक्षक बन बच्चों का
अड़िग खड़े रहना , मैं यहाँ प्रतिपल
उन्हें अपनी ममता का सहारा
देती रहूँगी ... शुभ होली !
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