उसी का ये गायन है

गीत   गा   रहा   मौसम    जीवन   में   

उज्ज्वला   का   प्रकाश   पसर   रहा  है 

हर    गीत    एक    गहन   को   कह   रहा   है  ,    किसी

की    बात    सुनाता  ,   किसी   को    पुकार   लगाता 

दिनभर   यह   गीत   मंद   स्वर   में    मधुर  तान   संग   

कानों    में    गूँजता   रहता   है  ;    कुछ    कहने   को

किसी    का    संदेशा    सुनाने    को     शिद्दत   के   साथ

हवाओं     में     अनुगूँज     बन      घुलता    जाता  ,

कानों    को     हाथ     से    बंद   करने   का   प्रयास   बेमाना  है 

ये   कोई   शोर   तो   है  नही  ,   जो   कनपटियों   को   बंद   कर  ले

याद   आया   ,  ये   तो   मेरी   ही   आवाज   है   मेरी   अर्न्तात्मा   की 

उसी   का   सुमधुर   गायन   है  ,  जिससे   जमाने   के   शोरगुल   में

मैं    जुदा   हो    गई    थी  ...  उसी   का   यह   स्वर   है   ,

उसी     का     ये     गायन    है ।

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