मेरे राम मेरे साथ प्रतिपल चलते है
कण कण में बसते है ।
हर क्षण में रहते है ।
मेरे राम मेरे साथ प्रतिपल चलते है ।
बनके नैया के खैवणहार
मेरी नैया पार लगाते है ।
अंधेरे में करते उजियारा
राह दिखाते है ।
मुश्किलों में साथ निभाते है ।
मेरे सुख - दुख में हाथ बँटाते है ।
ठोकर खा जो गिरुँ मैं
हौसला देते है ।
मुख पे एक मीठी मुस्कान खिलाते है ।
दरश दिखाते है , जग के मात - पिता
अपनी संतानों को देख
पुलक हृदय से ममता की धारा बरसाते है।
तेजपुँज साहस धैर्य करुणा
प्रेम जीवदया का पाठ जीवन पाठशाला
में बनके गुरु हमारा , हमें सिखाते है ।
कण कण में बसते है ।
हर क्षण में रहते है ।
मेरे राम मेरे साथ प्रतिपल चलते है ।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 05 अप्रैल 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
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