एक बूँद सुहानी
१ असंभावित मौन से निकलकर
बारिश की टपटप में घुलना है ।
चुपचाप भीगी हरी घास पर चलना है
मन के सारे कलुष को इस बारिश में धुलना है
२ अनगनित बूँदों में एक बूँद मोती सा सजा
रंग भरा इंद्रधनुष अम्बर में अभी - अभी खिला ।
सूखे तलहट में एक बूँद अरमान बनकर
अभी तक जीवित है आस मन का विश्वास ।
निर्जनपथ की अकथ दुर्दम कहानी अभी भी
बाकी है पौधों पर उम्मीद की एक बूँद सुहानी ।
बारिश को तुमने सिर्फ़ मौसम नहीं, बल्कि आत्मा की धुलाई और उम्मीद का प्रतीक बना दिया है। पहली ही पंक्ति से लगा जैसे मौन टूटकर बूँदों में घुल गया हो। सबसे गहरी बात मुझे वो लगी जहाँ सूखी तलहटी में एक बूँद अब भी अरमान बनकर ज़िंदा है, ये सीधी उम्मीद की तस्वीर है।
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