एक नदी हो जाओ !
लिखने को शब्द नहीं , भावों की एक मुस्कुराहट ले लो ।
अगर ऐतराज न हो कोई तो , तमाम दुख - दर्द के पार
जिंदगी को जिंदगी के असल नजरिए की निगाह से झाँक
आओ ! स्वतंत्र , खाली , निर्बाध एक शांत प्रवाहित
दुर्गम घाटी में बहती नदी हो जाओ ।
एक नदी , जो बहती है बारहों मास
एक नदी , जो देती है हर आने - जाने वाले का साथ
एक नदी , विस्तृत ममता के आँचल से सजी
एक उज्ज्वल प्रवाहमयी नदी , जो चट्टानों के
साथ होकर मैदानों में बहती है ।
एक नदी , जो साथ ना होकर भी नित तुम्हारे साथ रहती है
और कलकल निनाद बहती है । एक नदी , हो जाओ !
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 21 मई 2025को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।