लीक से हटकर
कुछ पल ठहरके दुनिया की आपाथापी
के बाहर भी एक नजर फेरी जाये ,
पध्दितयों के तौर - तरीकों के
तमाम - सलीकों से बाहर
भी झाँक जाया जाए ।
जरुरी तो नहीं कि , हर छंद बंध हो ,
ताल में लय नहीं छुटेगा ।
एक नव - निर्माण कर देना ,
एक अनबुझे पथ का संधान कर देना ।
थोड़ी - सी मुश्किल हो सकती है ,
पर असंभव हो , यह विधान नहीं ।
दुनिया यों ही थोड़े हीं चलती है ?
प्रयासों में हीं सफलता मिलती है ।
एक बार गिरेंगे , दो बार गिरेंगे ,
अरे ! ज्यादा से ज्यादा कई बार गिरेंगे ।
कभी - न - कभी तो उठ डटेंगे ।
देखा न सही , लेकिन सुना तो सही होगा !
वो मकड़ी की ,
कभी हार न मानने वाली कहानी ।
पिटी हुई लीक को कब तक रगड़ों के कि
कुछ तो अनुसंधान करो ।
नर हो न निराशा करो मन को ।
सुना है न ,
हमनें नजर बदली तो नजारे बदल गए और
कश्ती ने जो बदला रुख तो किनारे बदल गए ।
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