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जनपथ बहुराती

संकेत संकेतक कभी शुभ समाचार की कभी किसी अनहोनी अनिष्ट की दोनों ही रहस्य भविष्य के गर्भ में छिपे है जिसको उस त्रिकालदर्शी के सिवा मैंने क्या किसी ने भी नहीं देखा , तो सुख- दुख के तराजू बराबर है दिन के बाद रात, रात के बाद दिन कोई बाधा नहीं , फिर अस्वीकार कैसा

हम सब एक परिवार है

जरुरी नहीं की हर गीत लिखा जाए  कुछ गीत बस यूँही गुनगुना लिया जाए खुली हवा में खुले जीवन के साथ  हर बाधा से मुक्त अविमुक्त  स्वतंत्र खग की उड़ान  अनन्त व्योम में विचरते बादलों की भाँति बिना व्यक्त किए व्यक्त कर देने की बात  हवाओं की शीतल छाँह में घुलते शब्द

चलते चलो

देख आसमान को और उठ खड़ा हो  चलते चलो उसके साथ  मुश्किलों में भी जीना सीखो बनते - मिटते नित ये बादल जीवन की सच्चाई है आज है तो कल नहीं वही याद रहे जो सूखे दिन में आ करुण बरस गए  सूखी तलहटी में जीवन को भर गए  फूल खिले फसलें लहरायी

सेवाभाव पथ लक्ष्य यहीं

वक्त के साथ बदलता अदब हर साँचे में ढलना  कदम से कदम मिलाकर चलना भीड़ की मक्खी बन जाना आसान है , पर खुद को खुद में रहकर तराशना थोड़ा   मुश्किल है , अपनी गलतियों को समझना और सुधारना  सुधार की अपेक्षा तो हम सदैव दूसरों से ही रखते है

अपनी सोई हुई चेतना को जगाओ

हीन  ,  मगर  नहीं  किसने  कहा  कि  तुम  हीन  हो  और  अगर  कोई  अपने  में  कहता  है  तो  कह  ले  ,  किसी के कहने  मात्र  से  तो  कोई   हीन  नहीं  हो  जाता  है , हीन  तो  तुम  तब  कहलाओगे   जबकि  तुम  अपने  को  हीन  मानोगे  , अपने  भीतर  छिपे  आत्मविश्वास  और   रचनात्मिका  शक्ति को जब  तक  तुम  संबल  न   दोगे  ,  तब  तक   प्रभु  भी  कुछ  नहीं  कर  सकते  ,  क्योंकि   ईश्वर  की   मदद   पाने  के  लिए  पहले  हमें   अपने-आप   से   प्रयास  करना  पड़ता  है  ।