चलते चलो

देख आसमान को और उठ खड़ा हो 

चलते चलो उसके साथ 

मुश्किलों में भी जीना सीखो

बनते - मिटते नित ये बादल

जीवन की सच्चाई है

आज है तो कल नहीं

वही याद रहे जो

सूखे दिन में आ करुण बरस गए 

सूखी तलहटी में जीवन को भर गए 

फूल खिले फसलें लहरायी

कई उदास चेहरे साथ खिल उठे

जो अब काया में न था

मन की मुस्कुराहट में चुपचाप आकर बस गया 

मंद - मंद जो अब मुस्काता था

बन सलिल शीतल 

कानों में मधुर रव कहता जाता था

सुख - दुख क्रमशः आता - जाता  

प्रतिकूलता से हार तुम न कभी कमजोर बनो 

चलते चलो , चलते चलो ..!


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