आचरण की सभ्यता निबंध का सार मेरे अपने शब्दों में
आचरण का प्रभाव बड़ी व्यापकता और गहनता के साथ जीवन से जुड़ा हुआ है । जीवन का हर क्षेत्र इसकी परिधि से बंधा हुआ है । आचरण की कुमानसिकता , कटुता , कुत्सित वृत्ति कर्कशता का भण्डार है , जो अंधकार और अज्ञान वृत्ति से परिपूर्ण और दुःख का कारण बनती है । जो व्यक्ति को पथभ्रष्ट , क्रोधी , विवेकशून्य बना देती है । वहीं व्यक्ति का सु - आचरण न केवल वैयक्तिगत उन्नयन को विस्तार देता है अपितु सामाजिक उन्नयन की राह भी खोल देता है । हृदय में उदारता , सहिष्णुता , समन्वयात्मकता के गुण प्रकाशित कर मार्ग का पथप्रदर्शक बन जाता है । समत्व का महान गुण जो विषम परिस्थितियों में भी मार्ग से विचलित नहीं होने देता है । सदाचरण का हीं सुपरिणाम है । अतएव ये उदात्त और प्रशंसनीय गुण आचरण की सद्वृत्ति का ही परिणाम है । जिसके बल पर कोई समाज महान बनता है । वहाँ की सभ्यता ऊँची उठती है और अक्षुण्णता एवं अखण्डता को प्राप्त करती है । महत्तवशाली की पदवीं प्राप्त हो सके इसलिए यह आवश्यक है कि महत्तवशील आचरण के सुविकास की ओर आगे बढ़े उसे अपने जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बनाए । जीवन का हर पथ इसकी सद्ज्योत से प्रकाशित होकर हर स्तर पर उन्नयन का साधन बनेगा और साध्य ईश्वर की प्राप्ति का महान स्त्रोत भी ।
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