चीफ की दावत कहानी का उद्देश्य
भीष्म साहनी की कहानी चीफ की दावत वर्तमान कहानियों में अपनी एक अलग पहचान रखती है । यह सामाजिक संदर्भों से जुड़ी एक मार्मिक कहानी है । इस कहानी में कहानीकार ने वृध्दावस्था में अपने बच्चों से मिलने वाले दंश का सजीव चित्रण किया है ।
प्रस्तुत कहानी में एक वृध्दा माँ की व्यथा का निरुपण किया गया है , जिसने अपना सबकुछ दाँव पर लगाकर अपने बेटे को बड़ा किया , उसे एक योग्य व्यक्ति बनाया , परंतु आज उसी बेटे को अपनी माँ घर में रखा फ़ालतू सामान मालूम होती है । माँ अपना अपमान सहकर भी अपने पुत्र की प्रगति के लिए सबकुछ करने को तैयार रहती है , परन्तु पुत्र ( शामनाथ ) के हृदय में अपनी माँ के प्रति कोई कृतज्ञता का भाव नहीं रहता है। । शामनाथ अपनी प्रगति तो चाहते है , पर माँ रुपी परंपरा को छुपाना चाहते है , ताकि उसके चीफ जो एक अमेरिकन है , उनके सामने वह अपने को एक आधुनिक परिवेश का आदमी समझा सके । इसलिए वह अपनी माँ को सख़्त हिदायत देता है कि वह तब तक अपनी कोठरी में ही रहे जब तक कि उसके चीफ चले नहीं जाते । माँ बेटे के इस व्यवहार का विरोध नहीं करती है और बेटे की प्रगति के लिए स्वयं से समझौता कर लेती है। कहानी पीढ़ियों में आये अन्तराल , बदलते परिवेश व पारिवारिक रिश्ते और पाश्चात्य उपभोक्तावादी सभ्यता के दुष्प्रभावों व क्षीण होती मानवीय संवेदना की गहन होती समस्या को समाज के समक्ष रखती हीं और यहीं कहानीकार का मुख्य उद्देश्य है ।
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