झूला
अम्मा आज लगा दे झूला ,
इस झूले पर मैं झूलूँगा ।
इस पर चढ़कर , ऊपर बढ़कर ,
आसमान को मैं छू लूँगा ।
झूला झूल रही है डाली ,
झूल रहा है पत्ता - पत्ता ।
इस झूले पर बड़ा मज़ा है ,
चल दिल्ली , ले चल कलकत्ता ।
झूल रही नीचे की धरती ,
उड़ चल , उड़ चल ,
उड़ चल , उड़ चल ।
बरस रहा है रिमझिम , रिमझिम ,
उड़कर मैं लूटूँ दल - बादल ।
हम सभी के बचपन के प्यारे बालगीत 😊😉🙂🤗
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