सरस्वती वन्दन : वन्दिता भगवती शारदे
वन्दिता भगवती शारदे
माँ ! बुध्द दे , स्वर शुध्द दे !
वाणी मधुर हो , आखर बने अरथमय
ज्ञान और भक्ति की ज्योत जगे
वन्दिता भगवती शारदे
माँ ! बुध्द दे , स्वर शुध्द दे !
शक्ति अभिनव दे , नव सृजिका का रुप धरे !
पग-पग शब्दों की अमरज्योत जले
टूटे सब पथ के बंधन , एक नया वितान मिले
नयन सपनों के दीप जले , हृदय विशाल बने
वन्दिता भगवती शारदे माँ !
बुध्द दे , स्वर शुध्द दे !
ममता के आँचल तले , जीवन ये खिले
करुणा - दया की गंगा में मन का भेद मिटे
अन्धेरों के भँवर में , तेरी ये ज्योत जले
वन्दिता भगवती शारदे माँ !
बुध्द दे , स्वर शुध्द दे !
वन्दिता भगवती शारदे ,
वन्दिता भगवती शारदे !
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