मेरे घर आवें राजाराम
बंदनवार बाँधों द्वार , सजाओ घरबार
सजाओ घरबार ,
दीप जलाओ , मंगल गाओ ,
दीप जलाओ , मंगल गाओ ....।
मेरे घर आवें राजाराम ,
मेरे घर आवें राजाराम ।
सुनरे मनवा ! अब साची - साची बात माहरी ।
लीप आवों अंगना गेरु में
चौक पूरन अल्पना की और अलाप पूरन हो
तेरी मधुर ये कल्पना
बिरवा रोप आवों चारों ओर
छिड़कावों शुचि - शुचि निर्मल मंगल जल
दीया बतिया की देउ बार
हल्दी कुंकुम रोली थाल सजाओ
हल्दी कुंकुम रोली थाल सजाओ ।
चहुँओर रखियो चहुँदिश हरियाली
महके फुलवारी सारी
मन में प्रीत हे आली !
मन में प्रीत हे आली !
कर देउ कलेवा बाँधियों तू प्रीत डोर गहरी
अनन्त मन भर देखना मीठा - मीठा राम रस
तू अँखियों से जी भर भरके लेना ।
रामनाम की माला फेरे तू छू लेना
चरणकमल धूलि मन प्रीत भरी ।
बंदनवार बाँधों द्वार सजाओ घरबार ,
दीप जलाओ , मंगल गाओ ....!
मेरे घर आवें राजाराम
मेरे घर आवें राजाराम .....!
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