दुनिया के रंग सारे
ओ रे राधा के श्याम
ओ रे यशोदा के लाल
मोहे रंग दो आज ऐसो
चटक लाल गुलाल
दुनिया के रंग सारे पीछे
फीके पड़ जाए
दुनिया के रंग सारे
पीछे फीके पड़ जाए
मेरे पैरों में भर दो ऐसी ताल
ओ रे वृंदावन के लाल
मैं झूमुँ झूमुँ हो के निहाल ...
दुनिया के रंग सारे पीछे
फीके पड़ जाए ....
मेरो कानों में भर दो ऐसी मधुर तान
ओ रे गोकुल के ग्वाल
मुझे हर जगह तेरी मीठी बोली सुहाए
दुनिया के रंग सारे पीछे
फीके पड़ जाए....
मेरे गले की बन बैजंतीमाल
ओ रे कुँजबिहारीलाल
मुझे तेरा ये रंग भाए ...
दुनिया के रंग सारे पीछे
फीके पड़ जाए ...
मेरी अँखियन का काला शृंगार
ओ रे बाँकेबिहारीलाल
किहीं तुमको नजर न लग जाए
दुनिया के रंग सारे पीछे
फीके पड़ जाए ...
मेरे करों का स्वर्ण कंगन
मेरे कृणों का कुण्डल
मेरी नासिका का कुंदन
तेरी झंकार में अपना सुर मिलाये
ओ रे नंद के लाल
मोहे रंग दो आज ऐसो
चटक लाल गुलाल
दुनिया के रंग सारे पीछे
फीके पड़ जाए
मेरी गीतों का बन के राग
बजाके अपनी बंसी की विमल तान
ओ रे मोहन मुरलिया वाले
मोहे रंग दो आज ऐसो चटक
लाल गुलाल दुनिया के रंग
सारे पीछे फीके पड़ जाए ..
ओ रे श्यामा के श्याम
ओ रे मीरा के नटनागर
मोहे कीजो आज अपने वरण में
मोहे रंग दीजो आज ऐसो चटक रंग में
दुनिया के रंग सारे ...
पीछे फीके पड़ जाए .. दुनिया के रंग
सारे पीछे फीके पड़ जाए ...!
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