ये नन्हीं बाल आशायें पूर्ण होंगी
पूर्णिमा चाँद आज आसमाँ
पर सजेगा , धीरे - धीरे बढ़कर
कई दिनों के इंतजार के बाद
आज चाँद अपने पूरे रुप में फबेगा
गायेंगी गीत मीठी आवाजों में सितारों
की महफिल से पूरा समा जब बंधेगा
माँ अपने बच्चे को लोरी गाकर सुलायेगी
खिड़की से चंदा के दर्शन करायेगी
आज रामकृष्ण भी उस चंदा के लिए रात
में जागेंगे मइया जसोदा कौशल्या के समान
आज चंदामामा में भी वात्सल्य उमड़ेगा
आज चंद्रकलाएँ पूर्ण होंगी ;
आज ये नन्हीं बाल आशायें पूर्ण होंगी ।
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंशुभ इतवार।
पढ़ते-पढ़ते सच में ऐसा लगा जैसे पूरा आसमान चाँदनी में नहा रहा हो। “माँ लोरी गाकर सुला रही है” वाली पंक्ति ने तो दिल छू लिया, उसमें इतना अपनापन और कोमलता है। तुम्हारी पंक्तियों में चाँद सिर्फ एक खगोलीय पिंड नहीं, बल्कि ममता, शांति और उम्मीद का प्रतीक बन गया है।
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