संदेश

जवानी

प्राण   अंतर   में   लिए   ,  पागल   जवानी  ! कौन   कहता   है    कि   तू    विधवा   हुई  ,    खो   आज   पानी । चल    रही   है   घड़ियाँ  ,  चले   नभ   के   सितारे , चल   रही   नदियाँ  ,  चले   हिमखंड   प्यारे , चल   रही   है   साँस  ,   फिर  तू  ठहर   जाये ? दो   सदी   पीछे   कि    तेरी   लहर   जाये  । पहन   ले    नर - मुंड - माल ,  उठ   स्वमुंड   सुमेरु   कर   ले ; भूमि - सा  तू   पहन   बाना  आज  धानी प्राण   तेरे   साथ   है  , उठ  री  जवानी ! द्...

पुष्प की अभिलाषा

  चाह   नहीं   मैं   सुरबाला   के   गहनों   में    गूँथा   जाऊ , और चाह  नहीं  प्रेमी - माला  में   बिंध प्यारी  को   ललचाँऊ , चाह  नहीं  सम्राटों  के  शव  पर हे  हरि !  डाला   जाँऊ , चाह   नहीं   देवों   के   सिर  पर  चढूँ   भाग्य   पर   इठलाँऊ   मुझे   तोड़   लेना   वनमाली  , उस   पथ   पर   देना   तुम   फेंक  मातृभूमि   पर   शीश   चढ़ाने   , जिस   पथ   पर   जावें   वीर   अनेक  ! 

आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा लिखित निबंध - मित्रता

  जब  कोई  युवा  पुरुष  अपने  घर  से  बाहर  निकलकर  बाहरी  संसार  में  अपनी  स्थिति  जमाता  है ,  तब  पहली  कठिनता  उसे  मित्र  चुनने में  पड़ती  है ।  यदि  उसकी  स्थिति  बिल्कुल  एकांत  और  निराली  नहीं  रहती  तो  उसकी  जान - पहचान  के  लोग  धड़ाधड़  बढ़ते  जाते  है और  थोड़े  ही  दिनों  में  कुछ  लोगों  से  उसका  हेल - मेल हो  जाता  है ।  यही  हेलमेल  बढ़ते - बढ़ते  मित्रता  में  परिणत  हो  जाता  है ।  मित्रों  के  चुनाव  की  उपयुक्तता  पर  उसके  जीवन  की  सफलता  निर्भर  हो  जाती  है ;  क्योंकि  संगति  का  गुप्त  प्रभाव  हमारे  आचरण  पर  बड़ा  भारी  पड़ता...

उपनिषदों में दार्शनिक विवेचन

  उपनिषद्  वेदों  की  निर्मल  ज्ञानधारा  के  रुप  में  प्रवाहित  चिंतनमयी  पृष्ठभूमि  है  ,  जो  वेदों  में  वर्णित  ज्ञानतत्व  का विशद्  व्याख्यान  हमारे  समक्ष  प्रस्तुत  करती  है ।  यह  ज्ञानतत्व  हीं  दर्शन  का  सारतत्व  है। दर्शन  अपने सत्तत्व अथवा ज्ञानतत्व  को  प्रमुख  मानता है ।

झूला

अम्मा    आज    लगा    दे    झूला  , इस   झूले   पर   मैं    झूलूँगा  । इस   पर   चढ़कर  ,  ऊपर   बढ़कर  ,  आसमान   को   मैं   छू   लूँगा । झूला   झूल   रही   है   डाली  ,

चीफ की दावत कहानी का उद्देश्य

भीष्म  साहनी  की  कहानी   चीफ  की  दावत   वर्तमान  कहानियों  में  अपनी  एक  अलग  पहचान  रखती  है ।  यह  सामाजिक  संदर्भों  से  जुड़ी  एक  मार्मिक  कहानी  है ।  इस  कहानी  में  कहानीकार  ने  वृध्दावस्था  में  अपने  बच्चों  से  मिलने  वाले  दंश  का  सजीव  चित्रण  किया  है  ।  

झाँसी की रानी

   ● सुभद्राकुमारी चौहान  की  प्रसिद्ध  कविता  झाँसी  की  रानी - सिंहासन   हिल   उठे   राजवंशों   ने   भृकुटि   तानी   थी  , बूढ़े   भारत   में   भी   आई   फिर   नयी   जवानी   थी  , गुमी   हुई   आजादी   की   कीमत   सबने   पहचानी  थी , दूर   फिरंगी   को   करने   की   सबने  मन   में   ठानी   थी  , चमक   उठी   सन्   सत्तावन   में   वह  तलवार   पुरानी  थी  , बुंदेले    हरबोलों    के    मुँह    हमने    सुनी    कहानी   थी  , खूब    लड़ी   मर्दानी   वह   तो...