शरद की मीठी गुनगुनी धूप
शरद की मीठी गुनगुनी धूप
एक आँगन की याद दिलाती है
खिली हुई धूप
ऊन के गोले
और तेजी सी चलती हुई सिलाईयाँ
दादी नानी माँ बुआ बेटी
चाची बड़ीमम्मी और भाभी
सब साथ संग मेरे पड़ोसवाली सहेली
पूरी भरी गोष्ठी
लगते हुनर के पैबंद
रंगीन धागों से तैयार
क्रोशिया की झालर
सुंदर चादर मेजपोश
गर्म स्वेटर झबले टोप
मोजे - हाथ मोजे और
लटकती काँधे पर साॅल
आचार की चटकारी खुशबू
गीतों की संगीतों की एक माला पिरोेते
देखते हो दिनकर
यह सुंदर संसार प्यारा
शरद की धूप में खिले चहकते
मीठी मुस्कान बिखेरते से ये सुंदर चेहरे
मुझे एक आँगन की याद दिलाते है
धीमे - धीमे से मेरे कपोल को छू जाते
अंतरंग बतियाते बीते दिनों की याद फिल्माते
आसमान के खुले कैनवास पर कुछ चेहरे
अनायास ही उकर आते
मुझे जान एक छोटी बच्ची
ममता का आँचल फैलाती सी
शरद की गुनगुनी धूप हौंले से सहलाती
ठुठरती शीत में अपना प्यार भरा स्नेहिल
स्पर्श दे जाती मुझे विदा की बेला
याद आती जब रस्मों में बँधी मैं
एक घर से दूज घर चली आई थी
बचपन , अल्हड़पन सबकुछ एक
दिन की परिधि में सिमटा सा
मिलाजुल अश्रुपूरित था
तब से बदले कितने दिन
नए रिश्तों में बंधी
माँ , नानी , दादी , बुआ ,
बहू , बेटी संग मेरे पड़ोसवाली सहेली
सिलाइयों की बारीकियाँ
उकेरती रंगीन धागों से मनुहारे
और एक मेरी मीठी सी मनुहार
जो तुम मुझे धूप में ला के
बरबस अपने गले से लगाती
शरद की मीठी गुनगुनी धूप
एक आँगन की याद दिलाती ..!
👉 एक तान निःशब्द : कुछ भी ( ब्लॉग तस्वीरें )
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 21 नवंबर , 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 22 नवंबर , 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसच बताऊँ, आपकी ये कविता पढ़कर मुझे अपना बचपन याद आ गया। मैं जैसे उसी पुराने आँगन में बैठ गया, जहाँ धूप नरम-सी चमकती थी और घर की सारी औरतें हँसते-बोलते कुछ न कुछ बुनती रहती थीं।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
जवाब देंहटाएंअद्भुत
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