कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ - ( बालकृष्ण शर्मा नवीन )
कवि , कुछ ऐसी तान सुनाओ ,
जिससे उथल - पुथल मच जाए ,
एक हिलोर इधर से आए ,
एक हिलोर उधर से आए ,
प्राणों के लाले पड़ जाए ,
त्राहि - त्राहि रव नभ में छाए ,
नाश और सत्यानाशों का -
धुँआधार जग में छा जाए ,
बरसे आग , जलद जल जाए ,
भस्मात भूधर हो जाए ,
पाप - पुण्य सद्सद भावों की ,
धूल उड़ उठे दाँये - बाँयें ,
नभ का वक्षस्थल फट जाए -
तारे टुक - टूक हो जाए ,
कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ ,
जिससे उथल - पुथल मच जाए ।
माता की छाती का अमृतमय
पय कालकूट हो जाए ,
आँखों का पानी सुखे ,
वे शोणित की घूँटें हो जाए ,
एक ओर कायरता काँपे ,
गतानुगति विगलित हो जाए ,
अंधे मूढ़ विचारों की वह अचल
शिला विचलित हो जाए ,
और दूसरी ओर काँपा देने वाला
गर्जन उठ जाए ,
अंतरिक्ष में एक उसी नाशक
तर्जन की ध्वनि मँडराएँ ,
कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ ,
जिससे उथल-पुथल मच जाए ।
नियम और उपनियमों के ये
बँधक टूक - टूक हो जाए ।
विश्वंभर की पोषक वीणा
के सब तार मूक हो जाए ।
शांति - दण्ड टूटे उस - महारुद्र का
सिंहासन थर्राए ।
उसकी श्वासोच्छवास - दाहिका
विश्व के प्राँगण में घहराए ।
नाश ! नाश !! हा महानाश !!!
की प्रलयंकारी आँखें खुल जाए ,
कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ
जिससे उथल-पुथल मच जाए।
सावधान ! मेरी वीणा में
चिनगारियाँ आन बैठी है ,
टूटी है मिजराबें , अंगुलियाँ
दोनों मेरी ऐंठी है ।
कंठ एक है महानाश का ,
मारक गीत रुध्द होता है ।
झाड़ और झखांड दग्ध है -
इस ज्वलन्त गायन के स्वर से
रुध्द गीत की क्रुध्द तान है
निकली मेरे अंतरतर से
कण - कण में व्याप्त वहीं स्वर
रोम - रोम गाता है वहीं ध्वनि
वह तान गाती रहती है ,
कालकूट फणि की चिंतामणि ,
जीवन - ज्योति लुप्त है - अहा !
सुप्त है संरक्षण की घड़ियाँ ,
लटक रही है प्रतिपल में इस
नाशक संरक्षण की लड़ियाँ !
चकनाचूर करो जग को , गूँजे
ब्रह्मांड नाश के स्वर से ,
रुध्द गीत की क्रुध्द तान है
निकली मेरे अंतरतर से !
दिल को मसल - मसल मैं मेंहदी
रचता आया हूँ यह देखो ,
एक - एक आंगुल परिचालन
में नाशक ताण्डव को देखो !
विश्वमूर्त्ति ! हट जाओ !! मेरा
भीष्म प्रहार सह न सकोगे ,
टुकड़े - टुकड़े हो जाओगे ,
नाशमात्र अवशेष रहेगा ,
आज देख आया हूँ - जीवन
के सब राज समझ आया हूँ ,
भ्रू - विलास में महानाश के
पोषक सूत्र परख आया हूँ ,
जीवन गति भूला दो - कंठ ,
मिला दो मृत्यु गीत के स्वर से
रुध्द गीत की क्रुद्ध तान है ,
निकली मेरे अंतरतर से !
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