वीर तुम बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !
हाथ में ध्वजा रहे बालदल सजा रहे
ध्वज कभी झुके नहीं , दल कभी रुके नहीं ।
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !
सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो
तुम निडर डरो नहीं तुम निडर डटे रहो ।
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !
प्रात हो कि रात संग हो न साथ हो
सूर्य से बढ़े चलो , चंद्र से बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !
एक ध्वज लिए हुए एक प्रण किये हुए
मातृभूमि के लिए , पितृभूमि के लिए
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !
अन्न भूमि में भरा वारि भूमि में भरा
यत्न कर निकाल लो , रत्न भर निकाल लो
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !
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